बिहार SIR मामला: चुनाव आयोग की बड़ी कार्रवाई और विपक्ष की कड़ी प्रतिक्रिया

📌 बिहार SIR मामला: चुनाव आयोग की बड़ी कार्रवाई और विपक्ष की कड़ी प्रतिक्रिया
🗓️ विशेष रिपोर्ट | The City Talk | जुलाई 2025
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🔍 क्या है SIR प्रक्रिया?
SIR यानी Special Intensive Revision एक विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान है, जिसे चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची की शुद्धता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया है।
📅 यह प्रक्रिया 24 जून 2025 से प्रारंभ हुई और इसका पहला चरण 1 अगस्त 2025 को ड्राफ्ट सूची के प्रकाशन के साथ पूर्ण होगा।
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🗳️ अब तक क्या हुआ है?
✅ 98% मतदाताओं का सत्यापन पूरा
बिहार के कुल 7.9 करोड़ मतदाताओं में से करीब 98% का फिजिकल वेरिफिकेशन पूरा किया जा चुका है।
➡️ यह कार्य बीएलओ (Booth Level Officers) की सहायता से घर-घर जाकर किया गया।
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📉 कितने मतदाता सूची से हटे?
चुनाव आयोग ने SIR के तहत अब तक करीब 56 लाख मतदाताओं के नाम हटाए हैं।
इनमें शामिल हैं:
श्रेणी संख्या
मृतक मतदाता 20 लाख
स्थायी रूप से बाहर गए लोग 28 लाख
दो जगह पंजीकृत (डुप्लिकेट) 7 लाख
पहचान न हो सकने वाले (अनट्रेस्ड) 11 हजार+
🔴 इन 11,000 “अनट्रेस्ड” वोटरों में घुसपैठ की आशंका भी जताई गई है।
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🧾 वोटर को क्या करना है?
यदि आपका नाम हट गया है या नाम गलत है तो:
1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक आप फॉर्म-6 भरकर दावा या आपत्ति दर्ज करा सकते हैं।
इसके लिए Aadhaar, Voter ID, Ration Card या अन्य 11 वैध दस्तावेजों का उपयोग किया जा सकता है।
30 सितंबर 2025 को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी।
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⚖️ विपक्ष का आरोप: यह तो लोकतंत्र की हत्या है!
🚩 तेजस्वी यादव और राहुल गांधी सहित विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया:
गरीब, दलित, पिछड़े और प्रवासी मतदाताओं के नाम जानबूझकर हटाए जा रहे हैं।
आयोग BJP के इशारे पर काम कर रहा है।
यह कदम मताधिकार छीनने और लोकतंत्र कमजोर करने की साजिश है।
🌧️ JD(U) के सांसदों का कहना:
बरसात के मौसम में SIR लागू करना अव्यवहारिक है।
लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे, दस्तावेज़ लाना कठिन हो रहा है।
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🧑⚖️ चुनाव आयोग का जवाब – “साफ मतदाता सूची लोकतंत्र की नींव”
चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा:
> “क्या हम मृतकों और फर्जी मतदाताओं को वोट डालने दें? यह प्रक्रिया पारदर्शिता और लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए है, ना कि किसी को वंचित करने के लिए।”
आयोग ने यह भी कहा कि हर पात्र मतदाता को सूची में शामिल किया जाएगा, और 1 महीने का समय अतिरिक्त दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि SIR कानूनी रूप से मान्य है, जब तक नागरिकता की पुष्टि पारदर्शी प्रक्रिया में हो।
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🧠 विशेष बातें “The City Talk” के पाठकों के लिए
🔹 यह पहली बार है जब बिहार में 1 बूथ पर 1200 से अधिक मतदाता नहीं रखे जाएंगे, जिससे चुनाव अधिक सुगम हो।
🔹 आयोग ने 12,817 नए मतदान केंद्र बनाए हैं, जिससे कुल संख्या बढ़कर 90,712 हो गई है।
🔹 अंतिम सूची जारी होने से पहले हर मतदाता को एक और मौका दिया जाएगा — यह अभूतपूर्व पारदर्शिता है।
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📢 निष्कर्ष
पॉइंट सारांश
✅ उद्देश्य मतदाता सूची से मृत, डुप्लिकेट और फर्जी नाम हटाना
⚠️ विवाद विपक्ष इसे गरीबों और प्रवासियों को वंचित करने की साजिश मान रहा
🧑⚖️ आयोग का पक्ष लोकतंत्र की रक्षा के लिए सूची की शुद्धता ज़रूरी
📅 समय-सीमा दावा/आपत्ति: 1 अगस्त – 1 सितंबर
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📌 “The City Talk” की सलाह:
अगर आप बिहार के निवासी हैं और आपको संदेह है कि आपका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है, तो 1 अगस्त के बाद फॉर्म-6 भरें और अपने अधिकार की रक्षा करें।