देश

विद्यालय मर्जर मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को झटका

हाई कोर्ट का आदेश: UP स्कूल मर्जर पर बड़ा झटका

1. सीतापुर में थमा मर्जर

24 जुलाई 2025 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी सरकार द्वारा जारी प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर आदेश (उन स्कूलों का विलय जहां 50 से कम छात्र हैं) को सीतापुर जिले में रोकने का निर्णय लिया। कोर्ट ने कहा कि अगले आदेश तक पुरानी स्थिति बनाए रखी जाए, यानी कोई भी स्कूल ऑफलाइन अवस्था में मर्ज नहीं होगा ।

2. अगली सुनवाई 21 अगस्त:

इस मामले में अगली सुनवाई 21 अगस्त, 2025 को होगी, जब कोर्ट पूरे मामले पर गहराई से विचार करेगा ।

3. सिंगल बेंच vs डिवीजन बेंच:

7 जुलाई को एक सिंगल बेंच ने सरकार को समर्थन दिया, लेकिन अब डिवीजन बेंच मामले की दोबारा समीक्षा कर रही है और सुप्रीम कोर्ट तक के संभावित रास्ते पर विचार हो रहा है ।

⚖️ क्यों हुआ सरकार को झटका?

संगठनों व अभिभावकों की नाराज़गी:**

याचिकाकर्ताओं (जिनमें सीतापुर की छात्रा कृष्णा कुमारी समेत 51 बच्चे शामिल हैं) ने दावा किया कि मर्जर से छोटे बच्चों को दूर जाना पड़ेगा, जिससे उनकी पढ़ाई बाधित होगी और RTE एक्ट (6–14 वर्ष) का उल्लंघन होगा ।

सरकार का बचाव:**

बेसिक शिक्षा विभाग ने तर्क दिया कि खाली या कम छात्रों वाले स्कूलों का विलय लक्षित संसाधन उपयोग, बेहतर कक्षाएं और सुविधाएं देने में मदद करेगा। जो भवन खाली होंगे, वहां बाल वाटिका या आंगनबाड़ी बनायी जाएगी ।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

AAP और विपक्ष

AAP के सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा में कहा है कि यूपी में 10,827 प्राथमिक विद्यालय विलय की सूची में हैं और यह शिक्षा व्यवस्था को संकट में डालने वाला है ।

Meerut में ‘Save School Campaign’ शुरू किया गया है, जहां आरोप लगाया गया कि मर्जर से बच्चों को दूर स्कूल जाना पड़ेगा और शिक्षा का अधिकार प्रभावित होगा ।

कोर्ट का विचार:

हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मामला सिर्फ मर्जर नहीं, बल्कि ‘पेयरिंग’ है—यानी बच्चों को निकटतम स्कूलों में स्थानांतरित करना, न कि स्कूल बंद करना। कोर्ट ने RTE की व्याख्या पर सवाल उठाये बिना, नीति की सुव्यवस्थित समीक्षा का आश्वासन दिया ।

आगे क्या होगा?

तारीख स्पष्टीकरण

21 अगस्त 2025 अगली सुनवाई, जहाँ कोर्ट न केवल सीटापुर बल्कि पूरे प्रदेश में मर्जर नीति की समीक्षा करेगा।

उच्च न्यायालय निर्णय यदि हाई कोर्ट नीति को रोकता है, सरकार को सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ेगा।

नीति समीक्षा या संशोधन निष्पादन की संभावना तय होगी—चाहे सरकार स्कूल चालू रखे या पैरलल सुविधा प्रारंभ करे।

-निष्कर्ष:

यह फैसला सरकार की शिक्षा नीति में बदलाव लाने वाला हो सकता है—जहां एक ओर संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग होना चाहिए, वहीं बच्चों का मूलभूत अधिकार और सुविधाजनक पहुंच भी सुनिश्चित होनी चाहिए। हाई कोर्ट ने फिलहाल स्टैटस क्वो बना कर बड़े विद्यालयीय परिवर्तनों को रोक दिया है, और अब समय है नीति की न्यायिक समीक्षा का।

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