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मुंबई में मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) ने अहमदआबाद से थोड़ी दूर नव-मुंबई इंडस्ट्रियल एरिया (पूर्व में सेकंडरी इकोनॉमिक जॉन) में बड़ी जमीन बेहद सस्ते दामों पर हासिल की है। आइए “The City Talk” के लिए इसे विस्तार से समझते हैं:

 सौदे की झलक

74% हिस्सेदारी की खरीद
13 दिसंबर 2024 को RIL ने 5,286 एकड़ भूमि पर बने नव–मुंबई IIA Pvt Ltd कंपनी में 74% हिस्सेदारी हासिल की। इसके लिए कंपनी ने लगभग ₹1,628 करोड़ खर्च किए, जिससे इस पूरे प्रोजेक्ट का प्रमोटेड मूल्य ₹2,200 करोड़ तय हुआ ।

भूमि का असली अनुमानित मूल्य
विशेषज्ञों के अनुसार, मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, JNPT पोर्ट और ट्रांस–हार्बर लिंक जैसी परियोजनाओं को देखते हुए, इस जमीन का बाजार मूल्य ₹1 लाख करोड़ तक आंका जा सकता है। लिहाज़ा, ₹2,200 करोड़ में खरीद बिल्कुल “डर्ट चीप” ही कही जाएगी ।

क्यों इतनी सस्ती थी ये?

1. स्ट्रेटजिक & प्लानिंग & फाइनेंशियल स्ट्रक्चर
रिलायंस ने पहले से ही ₹6,162 करोड़ के कर्ज के रूप में इस कंपनी का सबसे बड़ा ऋणदाता था। इसलिए CIDCO की “पहली खरीद का अधिकार” (right of first refusal) बिना बाधा के रिलीव करवा लिया गया, जिससे सौदा आसान हुआ ।

2. **सरकार–निजी सहयोग:**
CIDCO द्वारा इस भूमि पर RIL को प्राथमिकता देना, तथा अन्य निजी कंपनियों का प्रतिस्पर्धा में न रहना, इस सौदे को संभव बनाया ।-

— इसका मुंबई और आसपास के इलाकों पर क्या असर होगा?

**औद्योगिकीकरण में उछाल:**
इस क्षेत्र में लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग और औद्योगिक इकाइयों के विस्तार की संभावना है, खासकर जब मल्टीनेशनल कंपनियाँ इन आपूर्ति श्रृंखलाओं के विकल्प ढूंढ रही हैं ।

**आने वाला “मेगासिटी” प्रोजेक्ट:**
पिछले साल सामने आई रिपोर्ट्स के मुताबिक RIL नव-मुंबई के इस क्षेत्र में बुद्धिमत्ता से एक नया “मेगासिटी” विकसित करने की योजना बना सकती है—जिससे 5 लाख से अधिक लोगों के लिए घर, नौकरियां, इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी में बड़ा बदलाव आएगा ।


विषय विवरण

समीक्षक दृष्टिकोण कुछ लोगों ने कहा कि जमीन की अकूत कीमतों की वजह से यह एक “डिस्ट्रेस्ड सेल” थी—जहां समझौता संपन्न पक्षों में हुआ ।
नकारात्मक अर्थव्यवस्था इस सौदे को “करप्शन” या खास सियासी समर्थन द्वारा संभव बताया गया ।

—✅ सारांश नगरवासी के लिए

जमीन का वास्तविक बाजार मूल्य ₹1 लाख करोड़ से अधिक होने की स्थिति में, ₹2,200 करोड़ में खरीद एक रणनीतिक चाल है।

इसका विकास नव-मुंबई को लॉजिस्टिक्स और ईको–हब के रूप में मजबूत कर सकता है।

पर इसकी चर्चा आगे भी बनेगी क्योंकि सियासी, आसन्न परियोजनाओं और रियल एस्टेट मूल्यों पर इसका असर है।-

 

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