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भारत में हर साल 15 जून से 15 नवंबर तक अधिकतर वन्य अभयारण्यों (Wildlife Sanctuaries) और राष्ट्रीय उद्यानों (National Parks) के कोर जोन (core zone) को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया जाता है। इसके पीछे कई प्राकृतिक, पारिस्थितिक (ecological), और जीव-जंतु संरक्षण (wildlife conservation) से जुड़े कारण होते हैं। आइए विस्तार से समझते हैं:

🌧️ 1. मानसून का समय होता है

यह समय मानसून (Rainy Season) का होता है। अधिकतर जंगलों में भारी बारिश होती है जिससे:

रास्ते कीचड़ और फिसलन भरे हो जाते हैं

वाहन चलाना खतरनाक हो जाता है

पर्यटकों के लिए यात्रा असुरक्षित हो जाती है

कभी-कभी बाढ़ या भूस्खलन का खतरा भी होता है

 2. जानवरों का प्रजनन (Breeding Season)

यह समय अधिकतर वन्य जीवों के लिए प्रजनन का समय होता है, जैसे कि बाघ, तेंदुआ, हिरण आदि।

जानवरों को शांति चाहिए होती है ताकि वे:

सुरक्षित ढंग से बच्चे पैदा कर सकें

अपने बच्चों की देखभाल कर सकें

यदि इस समय पर्यटकों की आवाजाही हो, तो जानवरों में तनाव होता है और उनका व्यवहार असामान्य हो सकता है

 3. पार्क का रखरखाव और मरम्मत

यह समय वन विभाग द्वारा पार्क की सड़कों, बोर्ड, कैंप, वॉच टावर आदि की मरम्मत के लिए भी उपयोग होता है

मानसून के कारण कई बार रास्ते टूट जाते हैं, जिन्हें बाद में ठीक करना जरूरी होता है

 4. पर्यावरण और वनस्पति को पुनर्जीवित होने का मौका

यह समय जंगल और हरियाली के पुनरुत्थान का भी समय होता है

बारिश के कारण पेड़-पौधे तेजी से बढ़ते हैं, जंगल हरा-भरा हो जाता है

अगर इस समय भारी मानव गतिविधि होती है, तो नई वनस्पति को नुकसान पहुंच सकता है

 5. टाइगर सफारी और टूरिज्म ज़ोन विशेष रूप से प्रभावित

अधिकांश टाइगर रिज़र्व, जैसे:

कान्हा, बांधवगढ़, रणथंभौर, सरिस्का, कॉर्बेट आदि के कोर ज़ोन बंद रहते हैं

कुछ बफर ज़ोन (Buffer Zones) सीमित मात्रा में खुले रहते हैं लेकिन वहां भी गतिविधि कम रहती है

निष्कर्ष:

15 जून से 15 नवंबर तक वन्य अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान वन्यजीवों को सुरक्षा, शांति और प्राकृतिक विकास का अवसर देने के लिए बंद किए जाते हैं। यह कदम वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरण संतुलन के लिए अत्यंत जरूरी है।

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