फाइनेंस
भारत मे बढ़ी गरीबी और अमीरी के बीच की खाई
The City Talk के लिए विशेष रिपोर्ट
प्रस्तावना
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। आईटी, सर्विस सेक्टर, स्टार्टअप्स और निर्माण क्षेत्र ने देश की जीडीपी को मजबूती दी है। परंतु, इसके समानांतर एक और सच्चाई है — आर्थिक विषमता (Economic Inequality)। देश की एक बड़ी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है, वहीं एक छोटा तबका अरबों की संपत्ति का मालिक बन गया है।
–📊 भारत की आर्थिक स्थिति:
1. जीडीपी और विकास दर
2024-25 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7% के करीब रही।
सेवा क्षेत्र और डिजिटल इकॉनमी ने अहम योगदान दिया।
2. गरीबी की स्थिति
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 14% आबादी अभी भी बहुआयामी गरीबी से जूझ रही है।
ग्रामीण भारत में गरीबी शहरी भारत की तुलना में अधिक है।
राज्यों जैसे बिहार, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, और उत्तर प्रदेश में गरीबी दर सबसे अधिक है।
आर्थिक विषमता की वास्तविक तस्वीर:
1. Oxfam India की रिपोर्ट (2024):
भारत के top 1% अमीरों के पास देश की कुल संपत्ति का लगभग 40% हिस्सा है।
जबकि नीचे के 50% लोगों के पास केवल 3% संपत्ति है।
2. कमाई और जीवन स्तर का अंतर:
शहरी भारत में एक बड़ा तबका एसी ऑफिसों में काम करता है, वहीं गरीब वर्ग के लोग दिहाड़ी मजदूरी या अनौपचारिक क्षेत्र में न्यूनतम वेतन पर काम करते हैं।
शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण की सुविधाओं तक पहुंच में भी भारी अंतर है।
गरीबी और अमीरी की खाई बढ़ने के मुख्य कारण:
1. शिक्षा और कौशल की असमानता
2. स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच का अभाव
3. नौकरी के स्थायित्व में कमी और असंगठित क्षेत्र का दबदबा
4. वेतन और मजदूरी में असमानता
5. भूमि और संसाधनों तक पहुंच की असमानता
6. नीतियों में अमीरों को अधिक लाभ
—📉 इसके प्रभाव:
सामाजिक असंतोष: आर्थिक विषमता सामाजिक टकराव, अपराध और असंतोष को जन्म देती है।
जनकल्याण योजनाओं में भरोसे की कमी
डिजिटल डिवाइड और शिक्षा में गिरावट
राजनीतिक ध्रुवीकरण और वोटबैंक राजनीति
—🛠️ समाधान और सुझाव:
1. सार्वजनिक शिक्षा और स्वास्थ्य पर निवेश बढ़ाना
2. मनरेगा जैसी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन
3. प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) को और पारदर्शी बनाना
4. टैक्स प्रणाली को अधिक प्रगतिशील बनाना — अमीरों से अधिक टैक्स वसूलना
5. MSME और स्टार्टअप सेक्टर को बढ़ावा देना
6. महिलाओं और युवाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना
निष्कर्ष..
भारत विकास की रफ्तार से तो आगे बढ़ रहा है, लेकिन सामाजिक और आर्थिक समावेश के बिना यह विकास अधूरा है। जब तक गरीबों को सशक्त नहीं किया जाएगा और अमीरों से संपत्ति का न्यायपूर्ण वितरण सुनिश्चित नहीं होगा, तब तक यह विषमता एक बड़ा खतरा बनी रहेगी।
भारत को चाहिए “विकास के साथ न्याय” — ताकि हर व्यक्ति को बराबरी का अवसर मिले, और देश सच में समृद्ध बन सके।