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अंतरराष्ट्रीय समाचार

कैसे एक व्यक्ति ने अकेले अमेरिका को डरा दिया ?

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विनीत मौर्य

ओशो रजनीश (भगवान श्री रजनीश) से अमेरिका सरकार का “डर” या कहें कि उनकी चिंता का कारण एक जटिल और बहुआयामी मामला था, जिसमें आध्यात्मिकता, राजनीति, संस्कृति और कानून सभी शामिल थे। नीचे हम विस्तार से इन कारणों को समझते हैं:

1. ओशो की विचारधारा: पारंपरिक अमेरिकी मूल्यों के खिलाफ

ओशो का दृष्टिकोण यौन स्वतंत्रता, धर्म की पारंपरिक परिभाषा, पूंजीवाद और साम्यवाद दोनों की आलोचना, और एक नए “मनुष्य” के निर्माण पर केंद्रित था।

उन्होंने धार्मिक ढांचे, ईसाई नैतिकता और विवाह-संस्था को चुनौती दी, जिससे अमेरिका के पारंपरिक और धार्मिक तबकों में डर बैठ गया कि यह व्यक्ति “अमेरिकन वे ऑफ लाइफ” को तोड़ रहा है।

2. रजनीशपुरम की स्थापना: एक स्वतंत्र सत्ता की आहट

ओशो ने 1981 में अमेरिका के ओरेगन राज्य में 64,000 एकड़ जमीन पर एक विशाल कम्यून “रजनीशपुरम” बसाया।

यह कम्यून बहुत तेजी से विकसित हुआ, खुद की सुरक्षा, स्कूल, अस्पताल, पुलिस और एयरपोर्ट जैसी सुविधाएँ थीं।

इससे स्थानीय सरकार और फेडरल एजेंसियों को लगा कि यह जगह एक “स्वतंत्र राष्ट्र” बन सकती है जो अमेरिकी प्रशासन को चुनौती देगा।

3. स्थानीय लोगों से टकराव और राजनीतिक हस्तक्षेप

ओशो के अनुयायियों (संन्यासियों) और स्थानीय ग्रामीणों में लगातार संघर्ष हुआ। स्थानीय लोगों को लगा कि बाहरी लोग आकर उनकी संस्कृति और सत्ता को हड़प रहे हैं।

ओशो की प्रवक्ता मा आनंद शीला ने आक्रामक रणनीति अपनाई — जैसे चुनावों में दखल देना, हथियार जमा करना और स्थानीय राजनेताओं को धमकाना।

4. बायोटेरर अटैक (1984): सलाद में सैल्मोनेला

रजनीश कम्यून के कुछ सदस्यों (शीला और सहयोगियों) ने 1984 में स्थानीय रेस्तरां में बैक्टीरिया (सैल्मोनेला) मिलाकर 750 से ज़्यादा लोगों को बीमार कर दिया, ताकि वे स्थानीय चुनाव में वोट न डाल सकें।

इसे अमेरिका का पहला बायोटेरर अटैक माना गया। इससे FBI को सीधा हस्तक्षेप करना पड़ा।

5. वीज़ा धोखाधड़ी और गिरफ्तारी

ओशो पर आरोप लगा कि उन्होंने वीज़ा नियमों का उल्लंघन किया है। उन्होंने और उनके अनुयायियों ने फर्जी विवाह किए ताकि विदेशी नागरिक अमेरिका में रह सकें।

1985 में उन्हें गिरफ्तार कर अमेरिका से बाहर कर दिया गया और कई देशों ने उन्हें प्रवेश देने से इनकार किया।

 6. अमेरिका की नजर में “कल्ट लीडर” और खतरा

अमेरिकी मीडिया ने उन्हें “Cult Leader” (मतांध गुरु) करार दिया। उनके अनुयायियों की अंधभक्ति और सामूहिक जीवनशैली को खतरनाक बताया गया।

अमेरिका को डर था कि यह व्यक्ति “धर्म” के नाम पर लोगों के दिमाग पर कब्जा कर रहा है, और सामूहिक उन्माद को हथियार बनाकर हिंसा भी कर सकता है।


ओशो से अमेरिका इसलिए डरा क्योंकि —

वह अमेरिकी सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक व्यवस्था के लिए चुनौती बनते जा रहे थे।

उनका आश्रम एक राजनीतिक सत्ता की तरह उभर रहा था।

उनके अनुयायियों ने अपराध और हिंसा का सहारा लिया।

और सबसे बड़ा कारण: वे अमेरिका की परिभाषित व्यवस्था को ही चुनौती दे रहे थे, जो किसी भी देश के लिए सबसे बड़ा डर होता है।

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